संस्कृत भाषा में वर्णों के भेद
संस्कृत भाषा में वर्णों के वर्ग क्रम को निम्न प्रकार समझाया गया है -
नोट - वर्णों के भेदों के बारे में पढ़ने से पूर्व प्रत्याहारों का ज्ञान आवश्यक है , क्योंकि नीचे प्रत्याहार प्रयोग किये गये है ।
कादयो मावसाना: स्पर्शा: ।
अर्थात् ‘क’ से लेकर ‘म’ तक के वर्णों को स्पर्श कहते हैं ।
यणोऽन्तस्था: ।
यणों को अन्तःस्थ कहते हैं ।
शल ऊष्माण: ।
शलों को ऊष्म कहते हैं ।
अच: स्वरा: ।
अचों को स्वर कहते हैं ।
कखाभ्यां प्रागर्द्धविसर्गसदृशो जिह्वामूलीय: ।
‘क’ ‘ख’ से पूर्व आधे विसर्ग के समान ध्वनि को जिह्वा-मूलीय कहते हैं ।
पफाभ्यां प्रागर्द्धविसर्गसदृश उपध्मानीय: ।
‘प’ ‘फ’ से पूर्व आधे विसर्ग के समान ध्वनि को उपध्मानीय कहते हैं ।
‘अं अ:’ इत्यच: परावनुस्वारविसर्गौ ।
‘अं अ:’ इनको अच् से परे क्रम से अनुस्वार और विसर्ग कहते हैं ।
॥इति॥
हम आशा करते हैं , कि हमारे द्वारा उपलब्ध कराई गई जानकारी आपके लिए सहायक होगी ।
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