प्रत्याहार
पाणिनि ने केवल ३९७८ सूत्रों में सम्पूर्ण व्याकरण शास्त्र का निर्माण किया है । शास्त्र में लाघव लाने में मुख्य हेतु प्रत्याहार हैं।
वर्ण समाम्नाय के १४ सूत्रों से ४२ प्रत्याहार बनते हैं । जिनका उपयोग पाणिनि ने अपने व्याकरण शास्त्र में किया है ।
प्रत्याहार निरूपण और उदाहरण -
१ अण् - अ इ उ । उदाहरण - ‘ढ्लोपे पूर्वस्य दीर्घो ऽणः’ ।
२ अक् - अ इ उ ऋ लृ । उदाहरण - ‘अकः सवर्णे दीर्घः’ ।
३ अच् - अ इ उ ऋ लृ ए ओ ऐ औ । उदाहरण - ‘इको यणचि’ ।
४ अट् - अ इ उ ऋ लृ ए ओ ऐ औ ह य व र । उदाहरण - ‘शश्छोऽटि’ ।
५ अण् - अ इ उ ऋ लृ ए ओ ऐ औ ह य व र ल । उदाहरण - ‘अणुदित्सवर्णस्य चाऽप्रत्ययः’ ।
६ अम् - अ इ उ ऋ लृ ए ओ ऐ औ ह य व र ल ञ म ङ ण न । उदाहरण - ‘पुमः खय्यम्परे’ ।
७ अश् - अ इ उ ऋ लृ ए ओ ऐ औ ह य व र ल ञ म ङ ण न झ भ घ ढ ध ज ब ग ड द । उदाहरण - ‘भो भगो अघो अपूर्वस्य योऽशि’ ।
८ अल् - अ इ उ ऋ लृ ए ओ ऐ औ ह य व र ल ञ म ङ ण न झ भ घ ढ ध ज ब ग ड द ख फ छ ठ थ च ट त क प श ष स ह । उदाहरण - ‘अलोऽन्त्यस्य’ ।
९ इक् - इ उ ऋ लृ । उदाहरण - ‘इको यणचि’ ।
१० इच् - इ उ ऋ लृ ए ओ ऐ औ । उदाहरण - ‘नादिचि’ ।
११ इण् - इ उ ऋ लृ ए ओ ऐ औ ह य व र ल । उदाहरण - ‘इणः ष’ ।
१२ उक् - उ ऋ लृ । उदाहरण - ‘उगिदचां सर्वनामस्थानेऽधातोः’ ।
१३ एङ् - ए ओ । उदाहरण - ‘एङ्ः पदान्तादति’ ।
१४ एच् - ए ओ ऐ औ । उदाहरण - ‘एचोऽयवायावः’ ।
१५ ऐच् - ऐ औ । उदाहरण - ‘वृद्धिरादैच’ ।
१६ हश् - ह य व र ल ञ म ङ ण न झ भ घ ढ ध ज ब ग ड द । उदाहरण - ‘हशि च’ ।
१७ हल् - ह य व र ल ञ म ङ ण न झ भ घ ढ ध ज ब ग ड द ख फ छ ठ थ च ट त क प श ष स ह । उदाहरण - ‘हलन्त्यम्’ ।
१८ यण् - य व र ल । उदाहरण - ‘इको यणचि’ ।
१९ यम् - य व र ल ञ म ङ ण न । उदाहरण - ‘हलो यमां यमि लोपः’ ।
२० यञ् - य व र ल ञ म ङ ण न झ भ । उदाहरण - ‘अतो दीर्घोयञि्’ ।
२१ यय् - य व र ल ञ म ङ ण न झ भ घ ढ ध ज ब ग ड द ख फ छ ठ थ च ट त क प । उदाहरण - ‘अनुस्वारस्य ययि परसवर्णः’ ।
२२ यर् - य व र ल ञ म ङ ण न झ भ घ ढ ध ज ब ग ड द ख फ छ ठ थ च ट त क प श ष स । उदाहरण - ‘यरोऽनुनासिकेऽनुनासिको वा’ ।
२३ वश् - व र ल ञ म ङ ण न झ भ घ ढ ध ज ब ग ड द । उदाहरण - ‘नेड् वशि कृति’ ।
२४ वल् - व र ल ञ म ङ ण न झ भ घ ढ ध ज ब ग ड द ख फ छ ठ थ च ट त क प श ष स ह । उदाहरण - ‘लोपो व्योर्वलि’ ।
२५ रल् - र ल ञ म ङ ण न झ भ घ ढ ध ज ब ग ड द ख फ छ ठ थ च ट त क प श ष स ह । उदाहरण - ‘रलो व्युपधाद्धलादेः संश्र्च’ ।
२६ मय् - म ङ ण न झ भ घ ढ ध ज ब ग ड द ख फ छ ठ थ च ट त क प । उदाहरण - ‘मय उञो वो वा’ ।
२७ ङम् - ङ ण न । उदाहरण - ‘ङमो ह्रस्वादचि ङमुण् नित्यम्’ ।
२८ झष् - झ भ घ ढ ध । उदाहरण - ‘एकाचोवशोभष् झषन्तस्य स्ध्वोः’ ।
२९ झश् - झ भ घ ढ ध ज ब ग ड द । उदाहरण - ‘झलां जश् झशि’ ।
३० झय् - झ भ घ ढ ध ज ब ग ड द ख फ छ ठ थ च ट त क प । उदाहरण - ‘झयो होऽन्यतरस्याम्’ ।
३१ झर् - झ भ घ ढ ध ज ब ग ड द ख फ छ ठ थ च ट त क प श ष स । उदाहरण - ‘झरो झरि सवर्णे’ ।
३२ झल् - झ भ घ ढ ध ज ब ग ड द ख फ छ ठ थ च ट त क प श ष स ह । उदाहरण - ‘झलो झलि’ ।
३३ भष् - भ घ ढ ध । उदाहरण - ‘एकाचो बशो भष् झषन्तस्य स्ध्वोः’ ।
३४ जश् - ज ब ग ड द । उदाहरण - ‘झलां जश् झशि’ ।
३५ बश् - ब ग ड द । उदाहरण - ‘एकाचो बशो भष् झषन्तस्य स्ध्वोः’ ।
३६ खय् - ख फ छ ठ थ च ट त क प । उदाहरण - ‘पुमः खय्यम्परे’ ।
३७ खर् - ख फ छ ठ थ च ट त क प श ष स । उदाहरण - ‘खरि च’ ।
३८ छव् - छ ठ थ च ट त । उदाहरण - ‘नश्छव्यप्रशान्’ ।
३९ चय् - च ट त क प । उदाहरण - ‘चयो द्वितीयाः शरि पौष्करसादेरिति वाच्यम्’ ।
४० चर् - च ट त क प श ष स । उदाहरण - ‘अभ्यासे चर् च’ ।
४१ शर् - श ष स । उदाहरण - ‘शरोऽचि’ ।
४२ शल् - श ष स ह । उदाहरण - ‘शल इगुपधादनिटः क्सः’ । इति
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