अच् ( स्वर ) सन्धि
यहाँ पर हम अच् सन्धि का विस्तृत वर्णन कर रहे हैं -
नोट - सन्धियों के बारे में पढ़ने से पूर्व प्रत्याहार ज्ञान आवश्यक है । क्योंकि नीचे प्रत्याहार प्रयोग किये गये हैं ।
अच् सन्धि के ७ प्रकार हैं -
१ यण् सन्धि
२ अयादि सन्धि
३ गुण सन्धि
४ वृद्धि सन्धि
५ दीर्घ सन्धि
६ पूर्वरूप सन्धि
७ जश्त्व सन्धि ( २ )
१ यण् सन्धि
सूत्र - इको यणचि । ६ । १ । ७७ ॥
इक: स्थाने यण् स्यादचि संहितायां विषये । ‘सुधी उपास्य: इति स्थिते ।
अर्थात् यदि बाद में स्वर हो , तब इक् के स्थान पर यण् हो जाता है ।
उदाहरण -
प्रति + एक: = प्रत्येक । ( इ -> य )
मधु + अर: = मध्वरि: । ( उ -> व )
२ अयादि सन्धि
सूत्र - एचोऽयवायाव: । ६ । १ । ७८ ॥
एच: क्रमाद् अय् , अव् , आय् , आव् , एते स्युरचि ।
अर्थात् यदि बाद में स्वर हो , तब एच् ( ए ओ ऐ औ ) के स्थान पर क्रमश:अय् , अव् , आय् , आव् हो जाता है ।
उदाहरण -
हरे + ए = हरये ( ए -> अय् )
ने + अनम् = नयनम् ( ए -> अय् )
भो + अनम् = भवनम् ( ओ -> अव् )
गै + अक: = भावक: ( औ -> आव् )
३ गुण सन्धि
सूत्र - आद् गुण: । ६ । १ । ८७ ॥
अवर्णादचि परे पूर्वपरयोरेको गुण आदेश: स्यात् ।
अर्थात् अ आ के बाद इ ई हो तब ए हो जाता है ।
अ आ के बाद उ ऊ हो तब ओ हो जाता है ।
अ आ के बाद ऋ हो तब अर् हो जाता है ।
अ आ के बाद लृ हो तब अल् हो जाता है ।
उदाहरण -
उप + इन्द्र = उपेन्द्र ( इ -> ए )
भाग्य + उदय: = भाग्योदय: ( उ -> ओ )
४ वृद्धि सन्धि
सूत्र - वृद्धिरेचि । ६ । १ । ८८ ॥
आदेचि परे वृद्धिरेकादेश: स्यात् । गुणाऽपवाद: ।
अर्थात् अ आ के बाद ए ऐ हो तब ऐ हो जाता है ।
अ आ के बाद ओ औ हो तब औ हो जाता है ।
उदाहरण -
गङ्गा + ओघ: = गङ्गौघ: । ( आ , ओ -> औ )
कृष्ण + औत्कण्ठयम् = कृष्णौत्कण्ठम् ( औ -> औ )
५ दीर्घ सन्धि
सूत्र - अक: सवर्णे दीर्घ: । ६ । १ । १०१ ॥
अक: सवर्णे ऽचि परे पूर्वपरयोर्दीर्घ एकादेश: स्यात् ।
अर्थात् अक् के बाद अच् हो , तब पूर्व पर के स्थान में दीर्घ हो जाता है ।
उदाहरण -
कमल + आकर: = कमलाऽऽकर:
विद्या + आलय: = विद्याऽऽलय:
गिरि + ईश: = गिरीश:
६ पूर्व रूप सन्धि
सूत्र - एङ पदान्ता दति । ६ । १ । १०९ ॥
पदान्तादेङोऽति परे पूर्वरूपमेकादेश: स्यात् ।
अर्थात् पदान्त एङ् के बाद में अत् - ह्रस्वअकार होने पर पूर्व-पर के स्थान में पूर्वरूप एकादेश होता है ।
उदाहरण -
वधू + उररीकृतम् = वधूररीकृतम्
श्रद्धा + अस्ति = श्रद्धाऽस्ति
तरू + ऊर्ध्वम् = तरूर्ध्वम्
७ जश्त्व सन्धि ( २ )
सूत्र - झलां जश् झशि । ८ । ४ । ५३ ॥
स्पष्टम् । इति पूर्वधकारस्य दकार: ।
अर्थात् झलों के बाद झश होने पर जश् हो जाता है । इससे पहले धकार को दकार हो गया ।
उदाहरण -
बुध + धि: = बुद्धि:
दुघ् + धम् = दुग्धम्
बुध् + ध: = बुद्ध:
ऋध् + धि: = ऋद्धि:
लभ् + ध: = लब्ध:
॥इति अच् संज्ञा प्रकरणम् ॥
हम आशा करते हैं , कि हमारे द्वारा उपलब्ध कराई गई जानकारी आपके लिए सहायक होगी ।
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आपका दिन शुभ हो !
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