संस्कृत भाषा में वर्णों का उच्चारण स्थान
यहाँ संस्कृत वर्णों के उच्चारण स्थानों को निम्न सूत्रों द्वारा समझाया है -
मुखनासिकावचनोऽनुनासिक: । १ । २ । ८ ॥
अर्थात् मुख और नासिका से बोला जा रहा वर्ण अनुनासिक संज्ञावाला होता है ।
१ अकुहविसर्गनीयानां कण्ठ: ।
अर्थात् अकार , कवर्ग ( क , ख , ग , घ , ङ ) हकार और विसर्ग का उच्चारण स्थान कण्ठ होता है ।
२ इचुयशानां तालु ।
अर्थात् इकार , चवर्ग ( च ,छ , ज , झ , ञ ) य और श उच्चारण स्थान तालु होता है ।
३ ऋटुरषाणां मूर्धा ।
ऋकार , टवर्ग ( ट , ठ , ड , ढ , ण ) , रेफ और षकार का उच्चारण स्थान मूर्धा है ।
४ लृतुलसानां दन्ता: ।
लृकार , तवर्ग ( त , थ , द ,ध , न ) लकार और सकार का उच्चारण स्थान दन्त है ।
५ उपूपध्मानीयानामोष्ठौ ।
उकार , पवर्ग ( प , फ , ब , भ , म ) और उपध्मानीय का उच्चारण स्थान ओष्ठ होता है ।
६ ञमङणनानां नासिका च ।
ञकार , मकार , ङकार , णकार और नकार का उच्चारण स्थान नासिका होता है ।
७ एदैतो: कण्ठतालु ।
एकार और ऐकार का उच्चारण स्थान कण्ठ और तालु होता है ।
८ ओदौतो: कण्ठोष्टम् ।
ओकार और औकार का उच्चारण स्थान कण्ठ और ओष्ठ होता है ।
९ वकारस्य दन्तोष्ठम् ।
वकार का उच्चारण स्थान दन्त और ओष्ठ होता है ।
१० जिह्वामूलीयस्य जिह्वामूलम् ।
जिह्वामूलीय का उच्चारण स्थान जिह्वामूल होता है ।
११ नासिकाऽनुस्वारस्य ।
अनुस्वार ( ऽ ) का उच्चारण स्थान नासिका होता है ।
॥इति॥
हम आशा करते हैं , कि हमारे द्वारा उपलब्ध कराई गई जानकारी आपके लिए सहायक होगी ।
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