सभी को नमस्कार और संस्कृतम् में आपका स्वागत है। आज हम दुनिया की सबसे पुरानी और सबसे आकर्षक भाषाओं में से एक - संस्कृत पर चर्चा करेंगे। संस्कृत एक ऐसी भाषा है जो न केवल सुंदर है बल्कि ऐतिहासिक , सांस्कृतिक और आध्यात्मिक महत्व भी रखती है। इस वीडियो में , हम आज की दुनिया में संस्कृत भाषा के इतिहास , महत्व और प्रासंगिकता की खोज करेंगे। शरीर : संस्कृत भाषा का इतिहास 2500 साल पहले का है , और इसे सभी इंडो - आर्यन भाषाओं की जननी माना जाता है। यह ...
यहाँ पर हम हल् सन्धि का विस्तृत वर्णन कर रहे हैं - नोट - सन्धियों के बारे में पढ़ने से पूर्व प्रत्याहार ज्ञान आवश्यक है । क्योंकि नीचे प्रत्याहार प्रयोग किये गये हैं । हल् सन्धि के ५ प्रकार है - १ श्चुत्व सन्धि २ ष्टुत्व सन्धि ३ जश्त्व सन्धि ( १ ) ४ चर्त्व सन्धि ५ अनुस्वार सन्धि १ श्चुत्व सन्धि सूत्र - स्तो : श्चुना श्चु : । ८ । ४ । ४० ॥ सकारतवर्गयो : शकारचवर्गाभ्यां योगे शकारचवर्गौ स्त : । अर्थात् सकार या तवर्ग से पहले या बाद में ...
यहाँ पर हम समास के चतुर्थ भेद बहुव्रीहि समास का विस्तृत वर्णन करेंगे । लक्षण - प्रयेणान्यपदार्थप्रधानो बहुव्रीहिश्चतुर्थः । जिस समास में प्रायः अन्य पद का अर्थ प्रधान हो, वह बहुव्रीहि होता है , यह चौथा समास है । ( बहुव्रीहिसमासविधिसूत्रम् ) अनेकम् अन्य-पदाऽर्थे २ । २ । २४ ॥ अनेकं प्रथमान्तम अन्यस्य पदस्याऽर्थे वर्तमानं वा समस्यते , स बहुव्रीहिः । अर्थात् अन्य पद के अर्थ में वर्तमान अनेक प्रथमान्तों का विकल्प से समास होता है । वह समास बहुव्रीहि कहलाता है । सप्तमी-विशेषणे बहुव्रीहौ २ । २ । ३५ ॥ सप्तम्यन्तं विशेषणं च बहुव्रीहौ पूर्वं स्यात् । अत एव ज्ञापकाद् व्यधिकरण-पदो बहुव्रीहिः । अर्थात् सप्तम्यन्त और विशेषण का बहुव्रीहि में पहले प्रयोग हो । उदाहरण - कण्ठेकालः - कण्ठे कालो यस्य ...
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